गन्ने की यह किस्म, एक साल से भी कम समय में हो जाती है तैयार देरी से बोने पर भी बंपर पैदावार देती है

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गन्ने की यह किस्म : आपको बता दे की देश के कई राज्यों में किसान बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती करते हैं। ऐसे में कई बार किसान समय पर गन्ने की खेती नहीं कर पाते हैं। उन किसानों के लिए गन्ने की एक खास किस्म आई है। इस किस्म की देरी से बुवाई करने पर भी किसान बंपर पैदावार पा सकते हैं।

गन्ने की यह किस्म

इस समय हमारे देश में गन्ने की पहचान औद्योगिक नकदी फसल के रूप में है। वैसे तो वसंतकालीन गन्ने की खेती फरवरी-मार्च में और शीतकालीन गन्ने की खेती अक्टूबर-नवंबर में की जाती है। लेकिन जो किसान इस अवधि में गन्ने की खेती नहीं कर पाए हैं, वे अब पछेती गन्ने की खेती भी कर सकते हैं। दरअसल, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की ओर से एक खास किस्म का आविष्कार किया गया है, जो देर से बोए जाने पर भी बंपर पैदावार देती है। इस किस्म का नाम है करण-17। आइए जानते हैं इस किस्म की खासियत।

गन्ने की यह किस्म
गन्ने की यह किस्म

करण-17 किस्म की विशेषताएं

करण-17 एक देर से बोई जाने वाली गन्ने की किस्म है। इस किस्म से किसान 914 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त कर सकते हैं। वहीं, इस किस्म को तैयार होने में 330-360 दिन लगते हैं। यह किस्म लवणीयता के प्रति सहनशील है। साथ ही, इस किस्म में लाल सड़न रोग भी नहीं लगता है। इस किस्म की खेती हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी और मध्य उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड में करने की सलाह दी जाती है।

खेती के लिए महत्वपूर्ण बातें

1. गन्ने की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है।

2. मिट्टी पलटने वाले हल से खेत की दो बार क्षैतिज और लंबवत जुताई करें।

3. बुवाई से पहले हल चलाकर मिट्टी को नरम बना लें। इसके अलावा हल चलाकर जमीन को समतल कर लें।

4. गन्ने की खेती के लिए बेहतर किस्मों का इस्तेमाल करें।

5. गन्ने की बुवाई लाइन से लाइन की दूरी 120 से 150 सेमी रखें।

6. गन्ने की खेती के लिए 8 महीने पुराने गन्ने के बीज का इस्तेमाल करें।

7. गन्ने की खेती के लिए संतुलित उर्वरक का इस्तेमाल करें।

8. गन्ने की खेती में खरपतवार, कीट और बीमारियों पर नियंत्रण रखें।

ऐसे करें गन्ने की बुवाई

गन्ने की बुआई खाई या गड्ढों में की जाती है। इसलिए बुआई से पहले खेत को मिट्टी पलटने वाले हल से करीब 10-12 इंच गहराई तक जोत लेना चाहिए। इसके बाद कल्टीवेटर से 04-05 जुताइयां करके मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए। वहीं गन्ने के अच्छे अंकुरण के लिए मिट्टी में पर्याप्त नमी भी जरूरी है। इसके बाद जब खेत तैयार हो जाए तो बुआई कर देनी चाहिए। इस तरह से गन्ने की खेती करने से फसलों के बीच जगह बच जाती है। इसमें किसान गन्ने के बीच में आसानी से दूसरी फसलें जैसे सब्जियां और नकदी फसलें उगा सकते हैं और अतिरिक्त मुनाफा कमा सकते हैं।

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